विशेष सूचना - 'जॉब्स मराठी' http://www.jobsmarathi.org/ या संकेस्थळाच्या डोमेनवर काम चालू असल्याने नोव्हेंबर, डिसेंबर व जानेवारी या तीन महिन्यात जर जॉब्स मराठी च्या वेबसाईट ला अडचण येत असेल तर www.jobsmarathi.blogspot.com किंवा www.jobsmarathi.tk या दोन डोमेननेम चा वापर करून वेबसाईट ओपन करावी...
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नवीन वर्षाच्या निमित्ताने 'जॉब्स मराठी'चे नवीन उपक्रम

मागील वर्षी (२०१३) नवीन वर्षाच्या निमित्ताने जॉब्स मराठीने ग्रुप सुरु केला होता

जॉब्स मराठी ग्रुप यावर्षी 'जॉब्स मराठी'चा अनेक नवनवीन उपक्रम सुरु करण्याचा प्रस्ताव आहे.

या ग्रुप मध्ये सर्व क्षेत्रातील व्यक्तींनी मिळून आपल्या बरोबर येणाऱ्या सगळ्यांना सहकार्य करायचे आहे.
नवीन व्यवसायाबद्दल माहिती देऊन बाकीच्या युवकांना प्रोस्ताहन करू शकता.
ग्रुप उद्देश - ह्या समुदायाचा उद्देश हा तरुणाईला नोकरीच्या नविन नविन संधी उपलब्ध करुन देणे हा आहे. जर आपल्या ऑफ़िस मधे जर एखाद्या पोस्टसाठी उमेदवार हवा असेल तर इथे कळवा.
आपले थोडेसे कष्ट एखाद्या उमेदवाराचे आयुष्य घडवु शकतॆ.
लक्षात ठेवा आपले अस्तीत्व टिकवायचे असेल तर जातीभेदाच्या भिंती ओलांडून आपल्याला एकत्र यावेच लागेल.
कधी कुठे कुणाचा उपयोग होईल सांगता येत नाही.

आपल्या समस्या किंवा अडचणी त्वरीत मांडण्यासाठी काही महत्वाचे संपर्क :

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काही महत्वाचे संपर्क :      जतन करून ठेवावे...
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1.श्री. पृथ्वीराज दाजीसाहेब चव्हाण ( मुख्यमंत्री)
सामान्य प्रशासन, माहिती व जनसंपर्क, नगरविकास, गृहनिर्माण,
०२२-२२०२५१५१, २२०२५२२२०२२-२३६३४९५०, २३६३०४०८
cm@maharashtra.gov.in
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 2. श्री. अजित अनंतराव पवार (उपमुख्यमंत्री)
वित्त, नियोजन आणि उर्जा
०२२-०२२५०१४, २२०२५०१४०२२-२३६३४८७७, २३६३१६०६
dcm@maharashtra.gov.in
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 3.श्री. नारायण तातू राणे
उद्योग, बंदरे आणि रोजगार व स्वयंरोजगार
०२२-२२०२४८३२०२२-२३६९७२७८
min.indemp@maharashtra.gov.in
---------------------------------------------------------------------
 4.श्री. छगन चंद्रकांत भुजबळ
सार्वजनिक बांधकाम (सार्वजनिक उपक्रम वगळून) आणि पर्यटन
०२२-२२०२४७००, २२०२५७३६०२२-२३६७९५४५, २३६८७८७५
min.pwtou@maharashtra.gov.in
---------------------------------------------------------------------
 5.श्री.रावसाहेब रामराव पाटील उर्फ आर. आर. पाटील
गृह
०२२-२२०२७१७४, २२०२९७४२०२२-२३६३७४९१,२३६३१५०५
min.home@maharashtra.gov.in
---------------------------------------------------------------------
 6.डॉ. पतंगराव श्रीपतराव कदम
वन, पुनर्वसन व मदत कार्य आणि भूकंप पुनर्वसन
०२२-२२०२५३९८०२२-२३६३५६८८
min.forest@maharashtra.gov.in
---------------------------------------------------------------------
 7.श्री. शिवाजीराव शिवरामजी मोघे
सामाजिक न्याय, विमुक्त/भटकया जमाती व
इतर मागासवर्गीय कल्याण, आणि व्यसनमुक्ती कार्य
०२२-२२८७६४६३०२२-२३६४५५५५
min.socjustice@maharashtra.gov.in
---------------------------------------------------------------------
 8.श्री. राधाकृष्ण एकनाथराव विखे-पाटील
कृषि व पणन
०२२-२२०२२१०००२२-२३६३३१९०
min.agri@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 9.श्री. जयंत राजाराम पाटील
ग्रामविकास
०२२-२२०२५०५१०२२-२३५१५८८९
min.rdd@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 10.श्री. हर्षवर्धन शहाजीराव पाटील
सहकार आणि संसदीय कार्य
०२२-२२८४३६५७, २२८४३६४७०२२-२३६१८६८६, २३६१८५८५
min.coop@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 11श्री. गणेश रामचंद्र नाईक
नवीन व नवीकरणीय उर्जा ,राज्य उत्पादन शुल्क
०२२-२२०२४५३५०२२-२७५४२०४२
min.energy@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 12श्री. विजय उर्फ बाळासाहेब भाऊसाहेब थोरात
महसूल व खार जमीन
 ०२२-२२०२५३०८०२२-२३६३३६७६
min.revenue@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 13श्री. दिलीप गंगाधर सोपल
पाणीपुरवठा आणि स्वच्छता-
min.wssd@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 14श्री. अनिल वसंतराव देशमुख
अन्न व नागरी पुरवठा आणि ग्राहक संरक्षण
 ०२२-२२८८६१८८०२२-२३६३४६६९
min.fcs@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 15श्री. जयदत्त सोनाजिराव क्षिरसागर
सार्वजनिक बांधकाम (सार्वजनिक उपक्रम)
०२२-२२०२५३६२०२२-२३६४६६१२
min.pwd@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 16श्री. मनोहरराव राजुसिंग नाईक
अन्न व औषध प्रशासन
 ०२२-२२०२५२५१०२२-२३६३२०४५
min.fda@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 17डॉ. विजयकुमार कृष्णराव गावित
वैद्यकीय शिक्षण आणि फलोत्पादन
०२२-२२८८६२९४०२२-२२८२६६९८
min.horticulture@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 18श्री. सुनील दत्तात्रय तटकरे जलसंपदा
(कृष्णा खोरे - पाटबंधारे महामंडळ वगळून)
०२२-२२०२४९५००२२-२३६७२६११
min.watsrccad@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 19श्री. शशिकांत जयवंतराव शिंदे
जलसंपदा (कृष्णा खोरे - पाटबंधारे महामंडळ)-
min.watsrckvic@maharashtra.gov.in
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 20श्री. मधुकरराव काशीनाथ पिचड आदिवासी विकास-
min.tribal@maharashtra.gov.in
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 21श्री. राजेश अंकुशराव टोपे
 उच्च व तंत्रशिक्षण
 ०२२-२२८८५८४५०२२-२२८२०६४४
min.higheredu@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 22श्री. राजेंद्र जवाहरलाल दर्डा
शालेय शिक्षण
 ०२२-२३६१०९२५०२२-२३६३०२८६
min.schedu@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 23मोहम्मद आरिफ (नसीम) खान
वस्त्रोद्योग, अल्पसंख्यांक विकास आणि औकाफ
 ०२२-२२८८५१०४०२२-२२०२९५४९
min.textile@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 24श्री. सुरेश हिरायन्ना शेट्टी
सार्वजनिक आरोग्य व कुटुंब कल्याण आणि राजशिष्टाचार
 ०२२-२२८७१४४००२२-२३६१९९७७
min.familywelfare@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 25श्री. हसन मियांलाल मुश्रीफ
कामगार आणि विशेष सहाय्य
 ०२२-२२०२५३०००२२-२२०२२२१९
min.labour@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 26डॉ. नितीन काशिनाथ राऊत
रोजगार हमी योजना आणि जलसंधारण
 ०२२-२२८७५९३००२२-२२०२००९७
min.watcons@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 27श्री. मधुकरराव देवराव चव्हाण
पशुसंवर्धन, दुग्धविकास व मत्स्यव्यवसाय
 ०२२-२२०२५२७००२२-२२०२७१६२
min.adf@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 28श्री. पदमाकर विजयसिंग वळवी
क्रीडा व युवक कल्याण
 ०२२-२२८१७०४००२२-२३६७०८१२
min.sports@maharashtra.gov.in
--------------------------------------------------------------------
 29प्रा. (श्रीमती) वर्षा एकनाथ गायकवाड
महिला व बालविकास
 ०२२-२२८८६०२५०२२-२२०२३४७६
min.wchd@maharashtra.gov.in
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 30श्री. संजय वामनराव देवतळे
पर्यावरण आणि सांस्कृतिक कार्य
 ०२२-२२८४३६२८ ०२२-२२०२२५०४
min.env@maharashtra.gov.in

MPSC & UPSC Book List

यूपीएससीचे (आणि एमपीएससीसुद्धा) पेपर्स तपासले जात असताना अलीकडच्या काळात उत्तरांमधला एकसाचीपणा परीक्षांना जाणवत असणार आहे. धक्कातंत्रांचा अवलंब करून यूपीएससीचे पेपर्स काढणे आणि परखड परीक्षणातून अनेक नियमित अभ्यास करणाऱ्यांना स्पर्धेतून बाहेर काढणे अशा बाबी मोठ्या प्रमाणावर होत आहेत.

मार्गदर्शन वर्गाच्या प्रचंड जाहिरातबाजीमुळे आणि मार्केटतंत्राच्या वापरातून रेडिमेड मटेरिअल खपविण्याच्या स्पर्धेमुळे "सकस काय' आणि त्याचे पारायण कसे करायचे हेच विसरायला होत आहे. 

अनेक क्षमता असणारे विद्यार्थी या भूलभुलय्याला बळी पडत आहेत. दिवसाला एवढे तास, विशिष्ट प्रकारच्या नोटस् आणि कुणीतरी चावून दिलेले गिळले की क्लास वन अधिकारी झालो अशा समजुतीतून अभ्यास करणारी अनेक मुले आजूबाजूला दिसताहेत. यातून यशापेक्षा निराशाच पदरी पडणार आहे.

त्यामुळे यूपीएससीचा अभ्यास करताना आत्यंतिक गरज कोणती आहे तर 'Back to Basics' जाण्याची. थोडक्यात, अर्थगर्भ संदर्भांचे तितक्याच अर्थपूर्ण प्रक्रियेद्वारे वेळ आणि बौद्धिक व मानसिक ऊर्जा देऊन आकलन करून घेणे आवश्यक आहे.
त्यासाठीची पहिली पायरी म्हणजे हे संदर्भ समजणे. खाली काही महत्त्वाच्या संदर्भांची यादी दिली आहे. कोणतीही तडजोड न करता या संदर्भाचा वापर करणे गरजेचे आहे. 

एकदा वाचून हे संदर्भ समजत नाही. मात्र पुन्हा पुन्हा वाचल्यावर त्यात दडलेल्या अर्थाचे विश्लेषण आणि त्यातून निश्चितपणे आकाराला येणारा आत्मविश्वास यांचा अनुभव येतो.सर्वच संदर्भांची सर्वांत अलीकडची (Latest) आवृत्ती अभ्यासणे कधीही जास्त हितावह आहे.

1. Introduction to constitution of India - D. D. Basu2.Our Constitution - Subhash Kashyap3. Our parliament - Subhash Kashyap4. Indian Polity - Laxmikant5. Indian economy - Dutt, Sundaram6. Indian economy - Migra, Puri7. Indian economy, environment and Policy - Ishwar Dhingra8. Indian economy - Prartiyogita Darpan9. India : A comprehensive geography - D. R. Khullar10. Human and economic geography - Goh Cheng Leong11. Certified physical and human geography - Goh cheng Leong12. Geography of India - Majid Hussain13. Science and Technology - Spectrum Pub. Delhi
14. Science and 
14. Science and Technology - Tata McGraw Hill Pub
15. India's Struggle for Independence - Bipin Chandra
16. History of Modern India - Grover and Grover
17. A brief history of Modern India - Spectrum pub. Delhi
18. India since Independence  - Bipin Chandra
19. The gazetteer of India, History and Culture
20. India's foreign ploicy - Muchkund Dubey
21.Challenges and strategy : Rethinking India's foreign Ploicy - Rajiv Sikri
22.International Organisations - Spectrum pub., Delhi
23. Social Problems in India - 
15. India's Struggle for Independence - Bipin Chandra 16. History of Modern India - Grover and Grover 17. A brief history of Modern India - Spectrum pub. Delhi 18. India since Independence  - Bipin Chandra 19. The gazetteer of India, History and Culture 20. India's foreign ploicy - Muchkund Dubey 21.Challenges and strategy : Rethinking India's foreign Ploicy - Rajiv Sikri 22.International Organisations - Spectrum pub., Delhi 23. Social Problems in India - Ram Ahuja
24. Social issues- Unique Pub., Delhi
25. Social Issues - Spectrum Pub., Delhi
26. Social Psychology  - Baron, Byrne, Bhardwaj
27. Working with 
24. Social issues- Unique Pub., Delhi 25. Social Issues - Spectrum Pub., Delhi 26. Social Psychology  - Baron, Byrne, Bhardwaj 27. Working with emotional Intelligence - Daniel Goleman
28. Manorama Year Book d India 2013 (
28. Manorama Year Book d India 2013 (भारत सरकार) 29. NCERT books of History, Geography and Science 30.National Institute of Open Schooling Mr ची पुस्तके 31.Magazines - Economic and Political Weekly, Frontline, Outlook, Economist, Civil Services Chronicle, Competition Wizard, Civil Services Times 32.Newspapers - Indian Express, Hindu, The Times of India, Economic Times. 33. Surves : विविध मंत्रालयांतर्फे प्रसिद्ध होणारे वार्षिक सर्व्हे. उदा. Economic Survey,National Family Health
Survey इत्यादी.

वरील यादीमधील क्र. 1 ते 30 पर्यंतचे संदर्भ हे मूलभूत आणि सूक्ष्म स्तरावरच्या आकलनासाठी महत्त्वाचे आहेत; तर क्र. 30 ते 33
मधील संदर्भ हे त्या आकलनाला सद्य:स्थितीत उपयोजनात्मक पातळीवर आणायचे कसे याबाबतची दिशा देण्यासाठी महत्त्वाचे आहेत.

MPSC Asst New syllabus 2013

                                   सहायक पूर्व परीक्षा 2013

एम.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षा - पेपर ३ ( मानव संसाधन विकास )

मानव संसाधन विकास या घटकाअंतर्गत आयोगाने लोकसंख्या हे स्वतंत्र प्रकरण नमूद केलेले आहे. परीक्षेच्या दृष्टीने हे महत्त्वाचे प्रकरण असून सर्वप्रथम २०१२च्या मुख्य परीक्षेत लोकसंख्या घटकावर कोणते प्रश्न विचारले आहेत, ते समजून घ्यावेत आणि अभ्यासाला सुरुवात करावी.
* २०१२ च्या मुख्य परीक्षेत खालील प्रश्न विचारले गेले होते-

१) लोकसंख्या धोरण २००० नुसार कोणत्या वर्षांपर्यंत लोकसंख्या स्थिरीकरणाचे उद्दिष्ट साध्य होईल?
अ) २०३५    ब) २०४५
क) २०५५     ड) २०५०
२) लोकसंख्या अंदाज अहवाल २००१ नुसार खालीलपकी कोणत्या राज्यातील  िलगगुणोत्तर २००१ च्या तुलनेत २०२६ मध्ये चांगले राहील?
अ) गुजरात     ब) बिहार
क) राजस्थान     ड) पंजाब
३) २०११ च्या जनगणनेच्या आकडेवारीनुसार भारतातील शहरीकरणाचे प्रमाण त्यापूर्वीच्या गणनेशी तुलना करता -
अ) घटले आहे.    ब) मागच्या इतकेच आहे
क) थोडेसे वाढले आहे.      ड) लक्षणीयरित्या घटले आहे.
स्पष्टीकरण -
२००१ शहरीकरणाचे प्रमाण = २७.८१ %
२०११ शहरीकरणाचे प्रमाण = ३१.१६ %
४) २०११ साली संयुक्त राष्ट्रांच्या लोकसंख्या विभागाने २०५० सालातील जागतिक लोकसंख्येसंबंधी एक अहवाल प्रस्तुत केला. यात संभाव्य सर्वाधिक लोकसंख्येच्या २० देशांची यादी दिली गेली, या यादीत पुढीलपकी कोणत्या देशाचा समावेश नाही?
अ) व्हिएतनाम     ब) पाकिस्तान 
क) ब्राझिल    ड) इंग्लंड
स्पष्टीकरण - मे २०११ मध्ये संयुक्त राष्ट्रसंघाने जो अहवाल प्रस्तुत केला त्यानुसार, जागतिक लोकसंख्या २०४३ पर्यंत ९ अब्ज इतकी असेल. २०५० पर्यंत भारत चीनला लोकसंख्येच्या बाबतीत मागे टाकेल.
२० देशांची यादी खालील प्रमाणे -
     १) भारत,     २) चीन,     ३) अमेरिका
    ४) नायझेरीया,    ५) इंडोनेशिया       ६) पाकिस्तान  
    ७) ब्राझिल    ८) बांगलादेश       ९) फिलिपाइन्स
    १०) कांगो     ११) इथोपिया    १२) मेक्सिको   
    १३) टांझानिया     १४) रशिया    १५) इजिप्त      
    १६) जपान     १७) व्हिएतनाम     १८) केनिया    
    १९) युगांडा      २०) तुर्की
५) ४.२ अब्ज लोकसंख्येसह आशिया हा सर्वात दाट मनुष्यवस्ती असलेला खंड आहे. आशियाई लोकसंख्या एकूण जागतिक लोकसंख्येच्या किती टक्के आहे ?
अ) ५१ %     ब) ६० %     क) ७० %     ड) ८० %
स्पष्टीकरण -
 जागतिक लोकसंख्येची टक्केवारी -
१) आशिया ६० %
२) आफ्रिका १५ %

३) युरोप ११%
४) उत्तर अमेरिका ८%

५) दक्षिण अमेरिका ६%
६) ऑस्ट्रेलिया १%

७) अंटार्टकिा १% पेक्षा कमी
६) २०११ च्या जनगणनेचे घोषवाक्य काय होते ?
१) लोकाभिमुख  २) आपली जनगणना आपले भविष्य
३) शिक्षणाभिमुख ४) समुदायाभिमुख
*    लोकसंख्या आणि मानव संसाधन :

मानव संसाधनातील लोकसंख्या हा एक महत्त्वाचा घटक आहे. उत्पादक, गुणवत्तापूर्ण लोकसंख्येचा आकार हा आíथक विकासाचा महत्त्वाचा निर्धारक घटक आहे. फक्त संख्येने वाढलेल्या लोकसंख्येचा कोणत्याही राष्ट्रासाठी फायदा नसतो तर त्याचे रूपांतर संसाधनात होणे आवश्यक आहे.
* भारताचे लोकसंख्या धोरण :

राष्ट्रीय लोकसंख्या धोरण १९७६ -  घोषणा १६ एप्रिल १९७६ रोजी केंद्रीय स्वास्थ्य व कुटुंबराज्य मंत्री डॉ. करणसिंग यांनी मांडले.
* उद्दिष्टे व उपाययोजना :

१) योग्य कायदा करून विवाहाचे किमान वय मुलींसाठी १८ वष्रे व मुलांसाठी २१ वर्षांपर्यंत वाढवणे.
२) निर्बजिीकरणाच्या प्रोत्साहनासाठी दिल्या जाणाऱ्या राशीत वाढ करणे. दोन मुलांनंतर कुटुंब नियोजन केल्यास १५० रुपये, तीन मुलांनंतर केल्यास १०० रुपये चार मुलांनंतर केल्यास ७० रुपये.
३) राज्य शासनांना अनिवार्य निर्बजिीकरणासाठी कायदे करण्याची अनुमती द्यावी.
४) २००१ वर्षांपर्यंत लोकसभा व राज्य विधानसभा यामधील प्रतिनिधित्व १९७१ च्या जनगणनेनुसार निश्चित करावे.
५) केंद्रीय व राज्य शासकीय कर्मचाऱ्यांना लहान कुटुंब संकल्पना स्वीकारण्यासाठी प्रोत्साहनपर लाभ द्यावेत.
६) राज्यांना त्यांच्या कुटुंबनियोजन कार्यक्रमासाठी केंद्राकडून निधी मिळावा.
*   १९७६ चे लोकसंख्या धोरण हे जास्त काळ टिकले नाही. १९७७ साली निवडणुका झाल्या व सत्तेत आलेल्या सरकारने २९ जून १९७७ रोजी वरील धोरणातील, कुटुंबनियोजन कार्यक्रमात जी सक्ती करण्यात आली होती, ती रद्द केली.
* १९७५ मध्ये माजी पंतप्रधान इंदिरा गांधी यांच्या सरकारने आणीबाणी जाहीर केली व या काळात १९७६ च्या लोकसंख्या धोरणाला संसदेत मान्यता देण्यात आली. संजय गांधी यांच्यामुळे या धोरणात सक्तीच्या कुटुंबनियोजनाचा समावेश करण्यात आला. या काळात मोठय़ा प्रमाणावर निर्बजिीकरण शस्त्रक्रिया करण्यात आल्यात.
* लोकसंख्या धोरण २००० - ११ मे २००० रोजी भारताची लोकसंख्या १०० कोटी झाली. जगातील क्षेत्रफळाच्या २.४ % क्षेत्रफळ असलेल्या या देशात जगातील १६ % लोकसंख्या राहत होती. लोकसंख्या वाढीचा दर आटोक्यात आणण्यासाठी दुसरे लोकसंख्याविषयक धोरण जाहीर करण्यात आले.
* पाश्र्वभूमी - १९९३ साली एम. एस. स्वामीनाथन यांच्या अध्यक्षतेखाली एक समिती नेमण्यात आली. या समितीने आपला अहवाल १९९४ मध्ये सादर केला व त्यानुसार पुढे २००० सालचे लोकसंख्या धोरण ठरविण्यात आले.
*  महत्त्वाची उद्दिष्टय़े -

१) अल्पकालीन उद्दिष्ट - संततीनियमनासाठी आवश्यक साधनांचा पुरवठा करणे. आरोग्याच्या पायाभूत सुविधा एकात्मिक सेवा पुरविणे.
२) मध्यकालीन उद्दिष्ट- प्रत्येक जोडप्याला दोन मुले- यासाठी प्रोत्साहन देणे.
३) दीर्घकालीन उद्दिष्ट - लोकसंख्येचे २०४५ पर्यंत स्थिरीकरण करणे.
* शिफारशी -

१) १४ वर्षांपर्यंतच्या मुला-मुलींना प्राथमिक शिक्षण मोफत आणि सक्तीचे करावे.
२) शाळेतील गळतीचे प्राथमिक व माध्यमिक स्तरावरील प्रमाण २० टक्क्य़ांपेक्षा कमी आणावे.
३) जननदर नियंत्रणासाठी व संतती नियमनासाठी याबाबत सामान्य लोकांना माहिती देण्यासाठी विशेष व्यवस्था निर्माण करावी.
४) फक्त दोन मुले असलेल्या व निर्बजिीकरण करून घेतलेल्या दारिद्य्ररेषेखालील दाम्पत्यांच्या नावे ५००० रुपयांची विमा पॉलिसी उघडावी.
५) १८ वर्षांपेक्षा उशिरा विवाह करणाऱ्या मुलींना बक्षीस देणे तसेच २१ वर्षांनंतर मातृत्व स्वीकारणाऱ्या मुलींना बक्षीस देणे.
६) माता मृत्युदराचे प्रमाण दर एक लाख जिवंत जन्मामागे १०० पेक्षा कमी आणावा.
७) ८०% प्रसूती संस्थात्मक पद्धतीने व १०० टक्के प्रसूती या प्रशिक्षित व्यक्तींच्या उपस्थितीत व्हाव्यात.
८) जन्म, मृत्यू, विवाह, गर्भधारणा यांचे १०० टक्के नोंदणीचे लक्ष साध्य करावे.
९) ग्रामीण भागात रुग्णवाहिका सेवा पुरविण्यासाठी विशेष फंड व कमी व्याजदराचे कर्ज उपलब्ध करून द्यावे.
१०) पंचायत समिती व जिल्हा परिषदांना लहान कुटुंब धोरण राबविण्यासाठी बक्षिसे द्यावीत.
दारिद्य्ररेषा
लोकसंख्येतील गरिबीचे प्रमाण मोजण्यासाठी दारिद्य्ररेषा या संकल्पनेचा वापर केला जातो. नियोजन आयोगाने ही रेषा ठरविण्यासाठी पुढील दोन निकषांचा वापर केलेला आहे.
१) दरडोई प्रतिदिनी उष्मांक उपभोग - या निकषानुसार, ग्रामीण भागात दरडोई प्रतिदिन किमान उष्मांक उपभोग २४०० कॅलरीज तर शहरी भागात किमान २१०० कॅलरी एवढा ठरविण्यात आलेला आहे. दारिद्य्ररेषेचे प्रमाण ठरविण्यासाठी अर्थात या कॅलरी मूल्यांचे रूपांतर पशांत केले जाते.
२) दरडोई प्रतिमाह उपभोग खर्च - या निकषांनुसार दारिद्य्ररेषा २००४ -२००५ मध्ये आधारभूत वर्ष १९७३-७४ ग्रामीण भागात दरडाई प्रतिमाह उपभोग खर्च रु. ३५६.३० तर शहरी भागात तो रु. ५३८.६० एवढी ठरविण्यात आली आहे. यावरून जी कुटुंबे दारिद्य्ररेषेपेक्षा कमी खर्च करतात. त्यांना दारिद्य्ररेषेखालील कुटुंबे तर जी कुटुंबे दारिद्य्ररेषेपेक्षा जास्त खर्च करतात, त्यांना दारिद्य्ररेषेवरील कुटुंबे असे संबोधले जाते.

देशातील बेरोजगारी
रोजगार नसलेल्या परंतु रोजगार मिळावे, अशी इच्छा असलेल्या व्यक्तीला बेरोजगार असे म्हणतात.
*   बेरोजगारीचे प्रकार -

अदृश्य बेरोजगारी - एखादे काम जेवढय़ा व्यक्ती करू शकतात त्यापेक्षा जास्त व्यक्ती त्या कामात गुंतले असता त्या जास्तीच्या व्यक्तींना 'अदृश्य बेरोजगार' असे म्हणतात. यांची सीमांत उत्पादकता शून्य असते. अशा व्यक्ती व्यवसायातून बाजूला सारल्यास तरी उत्पादनांच्या पातळीत मुळीच विपरीत परिणाम होत नाही. उदा. जर एखाद्या शेतावर एक व्यक्ती काम केले तरी चालू शकेल, परंतु त्या शेतावर जर चार ते पाच माणसे राबत असतील तर त्या सर्वाना अदृश्य बेरोजगार असे म्हणू शकतो.
कमी प्रतीची बेरोजगारी - ज्यावेळी एखाद्या व्यक्तीला आपल्या क्षमतेपेक्षा किंवा आपल्या शिक्षणापेक्षा कमी प्रतीच्या रोजगारावर समाधान मानावे लागत असेल त्यावेळी त्यांना कमी प्रतीची बेरोजगार असे म्हणतात. उदा. एखाद्या इंजिनीअर ने क्लर्कची नोकरी करणे.
हंगामी बेरोजगारी - ठरावीक हंगामात काम मिळते इतर वेळेला त्यांना काम मिळत नाही. उदा. साखर कारखान्यात काम करणारे कामगार.

खुली बेरोजगारी - जेव्हा इच्छा असून देखील काम करण्याची संधी मिळत नाही. तेव्हा त्या बेरोजगारीला खुली बेरोजगारी असे म्हणतात. सुशिक्षित बेरोजगारदेखील खुल्या बेरोजगारीत येतात.
याशिवाय संरचनात्मक बेरोजगारी, सुशिक्षित बेरोजगारी, चक्रीय बेरोजगारी, छुपी बेरोजगारी हे बेरोजगारीचे प्रकार आहेत. भारतातून बेरोजगारीचे प्रमाण कमी व्हावे तसेच बेरोजगारांना काम मिळावे, यासाठी सरकारने विविध योजना तयार केल्या आहेत शिवाय शिक्षण घेताना तांत्रिक आणि व्यावसायिक शिक्षणाची व्यवस्था निर्माण व्हावी, म्हणजे कुशल व शिक्षित कामगार प्राप्त होतील यासाठी सरकारने राष्ट्रीय कौशल्य विकास धोरण जाहिर केले आहे.
*  राष्ट्रीय कौशल्य विकास धोरण ( National Skill Development Policy)-

केंद्र सरकारने  फेब्रुवारी २००९ मध्ये राष्ट्रीय कौशल्य विकास धोरण  जाहीर केले. यानुसार २०२२ पर्यंत पाच दशलक्ष कुशल व्यक्तींची निर्मिती करणे हे उद्दिष्ट आहे. हे धोरण प्रभावीपणे राबविण्यासाठी पुढील त्रिस्तरीय संस्थात्मक रचना निर्माण करण्यात आली.
पंतप्रधानांची राष्ट्रीय कौशल्य विकास परिषद ( NCSD ) - या परिषदेचे अध्यक्ष पंतप्रधान असतात. धोरण ठरविण्यासाठी ही सर्वोच्च समिती आहे.

राष्ट्रीय कौशल्य विकास समन्वय मंडळ ( NSDCB) - या मंडळाचे अध्यक्ष नियोजन मंडळाचे उपाध्यक्ष असतात. पंतप्रधान परिषदेच्या निर्णयांची अंमलबजावणी कशी करावी तसेच कौशल्य विकासाचे उद्दिष्ट साध्य करण्यासाठी मार्गदर्शन तत्त्व तयार करणे हे यांचे प्रमुख कार्य असते.
राष्ट्रीय कौशल्य विकास महामंडळ (NSDC) -  हे मंडळ  सार्वजनिक खासगी भागीदारीच्या आधारावर स्थापन केलेले आहे. नफ्यासाठी नसलेली कंपनी म्हणून हे मंडळ काम करते. या मंडळाचा अध्यक्ष कौशल्य विकास क्षेत्रातील प्रतिभावंत व्यक्ती असतो.    

UPSC मुख्य परीक्षेची तयारी

मुख्य परीक्षेत जास्तीत जास्त गुणांनी यश मिळविण्यासाठी नियोजनपूर्ण अभ्यास, मुद्देसूद लिहिण्याचा सराव आणि तयारीत सातत्य आवश्यक ठरते.गेल्या आठवडय़ात (२६ मे) रोजी संघ लोकसेवा आयोगाच्या नागरी सेवांकरिता पूर्वपरीक्षा पार पडली. या वर्षांपासून मुख्य परीक्षेचा अभ्यासक्रम बदललेला आहे व बदललेल्या अभ्यासक्रमानुसार होणारी मुख्य परीक्षा २०१३ ही पहिलीच परीक्षा असेल. पूर्व परीक्षा देऊन आल्यानंतर अनेक विद्यार्थी मोठी चूक करतात ती म्हणजे पूर्वपरीक्षेचा निकाल येईपर्यंत मुख्य परीक्षेचा अभ्यास न करणे. पूर्वपरीक्षा उत्तीर्ण झालो तरच मुख्य परीक्षेचा अभ्यास करण्याचा त्यांचा मनसुबा असतो. मात्र त्यामुळे पूर्वपरीक्षा झाल्यानंतरचा महत्त्वाचा वेळ केवळ पूर्वपरीक्षेच्या निकालाची वाट पाहण्यात निघून जातो. अशाने पूर्वपरीक्षा उत्तीर्ण झाल्यानंतर उरलेल्या काळात मुख्य परीक्षेचा अभ्यास होणे कठीण बनते. बदललेल्या अभ्यासक्रमानुसार तर एवढय़ा कमी कालावधीत मुख्य परीक्षेचा अभ्यास पूर्ण होणे कठीण आहे.
म्हणूनच पूर्वपरीक्षेत उत्तीर्ण होऊ की नाही, आपल्याला पूर्वपरीक्षेत किती मार्कस् मिळतील, इतर विद्यार्थ्यांना पेपर कसा गेला आहे इ.चर्चा करण्यापेक्षा विद्यार्थ्यांनी लगेचच मुख्य परीक्षेच्या तयारीला सुरुवात करायला हवी. जे विद्यार्थी २०१४ मध्ये पूर्व परीक्षा देणार आहेत त्यांनीदेखील आतापासून मुख्य परीक्षेच्या तयारीला लागावे. नवीन बदललेल्या अभ्यासक्रमानुसार सामान्य अध्ययनाचा आवाका इतका वाढला आहे की, त्याचा अभ्यास केल्यानंतर पूर्वपरीक्षेत सामान्य अध्ययनाच्या पेपर १ चा अभ्यास पूर्ण होईल. त्यासाठी नव्याने पूर्वपरीक्षेच्या पेपर १ साठी खूप जास्त अभ्यास करावा लागणार नाही.
संघ लोकसेवा आयोगाच्या वेबसाइटवर (www. Upsc.gov.in) जर मुख्य परीक्षेचा अभ्यासक्रम बघितला तर त्यात एक महत्त्वाचा मुद्दा सांगितलेला आहे, तो असा की, पेपर २ ते ५ याचे स्वरूप असे असेल की, एखादा सुशिक्षित माणूस कोणत्याही विशेष ज्ञानाशिवाय (without any specialized study)  ही परीक्षा देऊ शकेल. यातील प्रश्नाद्वारे विद्यार्थ्यांचे प्रशासकीय सेवांशी संबंधित विषयाचे सामान्य आकलन तपासले जाते. याद्वारे विद्यार्थ्यांचे संबंधित विषयांचे मूलभूत ज्ञान तसेच परस्परविरोधी सामाजिक व आíथक उद्दिष्ट, मागण्या यांचे विश्लेषण करून मत बनविण्याची क्षमता याची चाचणी होते.
२०१३ च्या मुख्य परीक्षेपासून ऐच्छिक विषय एकच असणार आहे. जुन्या अभ्यासक्रमानुसार दोन ऐच्छिक विषय निवडावे लागत.
पेपर ६ व ७ जो ऐच्छिक विषयाशी संबंधित आहे, त्याचा आवाका ऑनर्स पदवी अभ्यासक्रमाएवढा असेल जो पदवीपेक्षा जास्त पण पदव्युत्तर अभ्यासक्रमापेक्षा कमी असेल. मात्र अभियांत्रिकी कायदा, वैद्यकीय शास्त्रांचा अभ्यासक्रम पदवी दर्जाचाच असेल. विद्यार्थ्यांनी मुख्य परीक्षेत कसे उत्तर लिहावे यासंबंधी एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण ओळ या अभ्यासक्रमात नमूद केली आहे. ती म्हणजे विद्यार्थ्यांनी सुसंगत, अर्थपूर्ण आणि संक्षिप्त उत्तर लिहावे. नवीन अभ्यासक्रमानुसार मुख्य परीक्षेचा अभ्यासक्रम खालीलप्रमाणे आहे -
अ) आठव्या परिशिष्टामधील कोणतीही एक भारतीय भाषा - ३०० गुण.
ब) इंग्रजी - ३००  गुण.
वरील दोन्ही पेपर्समधील गुण एकूण गुणांमध्ये ग्राह्य़ धरले जात नाहीत. मात्र वरील दोन्ही पेपर पास होणे आवश्यक असते, जर विद्यार्थी वरील पेपरमध्ये नापास झाला तर त्याचे पुढचे पेपर तपासले जात नाहीत, एकूण गुणांत ग्राह्य़ धरले जाणारे पेपर पुढीलप्रमाणे :
पेपर १ निबंध :  ( गुण २५०) :- विद्यार्थ्यांना एका विशिष्ट विषयावर निबंध लिहावा लागतो. निबंधाच्या विषयाचे पर्याय उपलब्ध असतात. निबंध विषयाशी सुसंगत, स्पष्टपणे लिहिणे अपेक्षित आहे. अभ्यासक्रमात असे नमुद करण्यात आले आहे की थेट व परिणामकारक अभिव्यक्तीस गुण दिले जातील. निबंधाचा हा पेपर मराठी भाषेतूनदेखील लिहिता येईल.
पेपर २ सामान्य अध्ययन : १ (गुण २५०) :- भारतीय संस्कृती व वारसा, जग व समाजाचा इतिहास आणि भूगोल.
पेपर ३ सामान्य अध्ययन :  २ (गुण २५० ) :- शासनयंत्रणा संविधान, प्रशासन, सामाजिक न्याय व आंतरराष्ट्रीय संबंध.
पेपर ४ सामान्य अध्ययन : ३ (गुण २५०) :- तंत्रज्ञान, आíथक विकास, जैवविविधता, पर्यावरण सुरक्षा व आपत्ती व्यवस्थापन.
पेपर ५ सामान्य अध्ययन : ४ ( गुण २५० ) :- नीतिमूल्य, एकात्मता व प्रवृत्ती.
पेपर ६ व ७ वैकल्पिक विषयासंदर्भात : विद्यार्थी हा अधिसूचनेत नमूद केलेल्या विषयांपकी कोणताही एक विषय घेऊ शकतो. त्याचे दोन पेपर असतील व प्रत्येक २५० गुणांचा असेल. म्हणजे वैकल्पिक विषय आता इंग्रजी किंवा मराठी लिहिता येईल. भाषा साहित्याबाबत जी अट सुरुवातीला आयोगाने टाकली होती, ती आता रद्द करण्यात आली आहे, नवीन अधिसूचनेनुसार आता कोणत्याही शाखेतील विद्यार्थी ऐच्छिक विषय म्हणून भाषा साहित्य घेऊ शकतो.
लेखी परीक्षेत यशस्वी झालेल्या विद्यार्थ्यांना मुलाखतीसाठी बोलावले जाते. मुलाखतीसाठी  २७५ गुण आहेत.
संघ लोकसेवा आयोगाच्या अधिसूचनेनुसार असे लक्षात येते की, नवीन बदललेल्या अभ्यासक्रमात ऐच्छिक विषयाचे महत्त्व थोडे कमी केले आहे. कारण जुन्या अभ्यासक्रमानुसार दोन ऐच्छिक विषय घ्यावे लागत. त्याला प्रत्येकी ६०० गुण होते. म्हणजे २३०० गुणांपकी १२०० गुण फक्त ऐच्छिक विषयांना होते. अगदीच टक्केवारीच्या भाषेत बोलायचे झाल्यास ५२ टक्के गुण ऐच्छिक विषयांना होते. नवीन अभ्यासक्रमानुसार, वैकल्पिक विषयांना फक्त ५०० गुण असतील म्हणजे २४ टक्के गुण विषयाला आहेत.
याउलट जुन्या अभ्यासक्रमानुसार सामान्य अध्ययनासाठी ६०० गुण होते. आता सामान्य अध्ययनाची व्याप्ती वाढून त्याचे चार पेपर करण्यात आले असून त्यासाठी १००० गुण असतील. अगदीच टक्केवारीनुसार बोलायचे झाल्यास जुन्या  अभ्यासक्रमानुसार २६ टक्के गुण सामान्य अध्ययनाला होते, तर नवीन अभ्यासक्रमानुसार त्याची व्याप्ती २६ टक्क्य़ांवरून ४६ टक्क्य़ांपर्यंत वाढविण्यात आली आहे.
 मुख्य परीक्षेची तयारी कशी कराल ?
पूर्व परीक्षा ही बहुपर्यायी स्वरूपाची असते, तर मुख्य परीक्षा दीघरेत्तरी स्वरूपाची असते. जे विद्यार्थी २०१४ च्या परीक्षेसाठी तयारी करीत असतील त्यांनी मुख्य परीक्षेची रणनीती वेगळी ठेवावी. कारण त्यांच्या तयारीसाठी बराच अवधी त्यांच्या हाताशी आहे. अशा विद्यार्थानी सर्वप्रथम एन.सी.आर.टी.ची पाचवी ते बारावीपर्यंतची पुस्तके वाचून काढावीत. शक्यतो त्यांच्या नोट्स तयार कराव्यात. या  पुस्तकात काही संकल्पना अंत्यत सोप्या भाषेत दिल्या असल्याने, एखाद्या प्रश्नाचे उत्तर लिहिताना मुद्देसूद आणि प्रभावीपणे लिहिता येते. नवीन अभ्यासक्रम जर बारकाईने अभ्यासला तर सामान्य अध्ययानाचा पेपर चालू घडामोडीशी संबंधित आहे, म्हणजे आपल्या अवतीभोवती काय घडत आहे,  त्याचा आपल्या देशाच्या राजकारण, समाजकारण आणि अर्थकारणावर कसा प्रभाव पडतो, याचा बारकाईने अभ्यास करावा. त्यासाठी रोजच्या रोज कमीत कमी दोन दैनिकांचे वाचन करावे, त्यांची टिपणे काढावीत. यांचा सर्वात जास्त फायदा मुख्य परीक्षेसाठी होतो. टी.व्ही.वर दिवसातून एकतरी कार्यक्रम देशात, आंतरराष्ट्रीय स्तरावर काय घडले, यासंबंधी चर्चासत्रांचा असतो. त्या विषयाशी संबंधित तज्ज्ञांमार्फत घटनेचा ऊहापोह होत असतो. असे कार्यक्रम अवश्य पाहावेत. शक्य झाल्यास अशा कार्यक्रमांचे रेकॉìडग करून ठेवावे. ते शक्य नसेल तर काही मुद्दे कार्यक्रम पाहताना लिहून ठेवावेत. त्यावर परीक्षेत कसा प्रश्न विचारला जाऊ शकतो, याचा विचार करून असा प्रश्न आल्यास आपण कसे उत्तर लिहू शकतो, हे प्रत्यक्ष लिहून पाहावे. असे केल्यास सामान्य अध्ययनात प्रश्न कसाही विचारला गेल्यास त्याचे मुद्देसूद उत्तर लिहिण्यास विद्यार्थ्यांना शक्य होते. अनेक विद्यार्थ्यांची एक चूक होते ती म्हणजे मुख्य परीक्षेला त्यांचा अभ्यास  चांगला असतो, परंतु प्रश्नांची उत्तरे कशी लिहावीत याचा सराव न केल्याने त्यांना मुख्य परीक्षेत चांगले गुण मिळत नाहीत. 
गेल्या चार ते पाच वर्षांच्या मुख्य परीक्षेच्या पेपरचा आढावा घेतल्यास असे लक्षात येते की, आयोग आजकाल प्रश्न थेट विचारले जात नाहीत. म्हणून केवळ ठराविक पुस्तक किंवा कोचिंग क्लासच्या नोट्सचे पाठांतर करून या परीक्षेत यश मिळवता येत नाही. पुस्तके किंवा नोट्स तुम्हाला त्या विषयासंदर्भातील माहिती देऊ शकतात, मात्र उत्तर तुम्हाला परीक्षेच्या काळात स्वत:च तयार करावयाचे असते. यासाठी सराव केला नसेल तर प्रचंड नुकसान होते.
उदा. भारत व पाकिस्तान संबंधांची चर्चा करा, अशा थेट प्रश्नाऐवजी 'नुकत्याच पाकिस्तानमध्ये झालेल्या निवडणुकीत नवाज शरीफ जिंकून आलेत. त्यांच्या निवडीमुळे भारत-पाकिस्तान संबंधांवर कसा परिणाम होईल, याचे टीकात्मक परीक्षण करा-' असा प्रश्न विचारला जाऊ शकतो. म्हणूनच प्रश्नांची उत्तरे लिहिण्याचा सराव असेल व अशी उत्तरे तज्ज्ञ प्राध्यापकांकडून किंवा त्याविषयाशी संबंधित तज्ज्ञ व्यक्तीकडून तपासून घेतली असतील तर विद्यार्थ्यांना अचूक उत्तर कसे लिहावे हे समजू शकते आणि परीक्षेत प्रश्न कसाही विचारला गेला तरी मुद्देसूद उत्तरे लिहता येतात. रोजचे टिपण, त्यासंबंधित आपण तयार केलेली प्रश्नोत्तरे यासाठी स्वतंत्र वही करावी व त्यांचे वाचन वेळोवेळी करावे. 
जे विद्यार्थी २०१३ मध्ये मुख्य परीक्षा देणार आहेत, त्यांनी अभ्यासाची स्वतंत्र रणनीती तयार करावी. मुख्य परीक्षेला सुमारे सात महिन्यांचा अवधी आहे. जर आजपासूनच अभ्यासाला सुरुवात केली तर हा कालावधी वैकल्पिक विषयाची तयारी व सामान्य अध्ययनाची तयारी यासाठी पुरेसा आहे. मात्र हा कालावधी विद्यार्थी कसा वापरतात, यावर बरेच काही अवलंबून राहील. नवीन अभ्यासक्रमानुसार, सामान्य अध्ययनाच्या चार पेपरसाठी विशेष अध्ययन सामग्री लगेच उपलब्ध होणार नाही.
मात्र, बदललेला अभ्यासक्रम जुन्या अभ्यासक्रमापेक्षा अगदी वेगळा आहे, असे नाही. तयारी करताना अभ्यासक्रमात दिलेला प्रत्येक मुद्दा व्यवस्थितपणे अभ्यासावा. जर काही मुद्दे पुस्तकात आपणास सापडत नसतील तर इंटरनेटचा वापर करावा. जास्तीत जास्त लिहिण्याचा सराव करावा. मागच्या १० वर्षांच्या प्रश्नपत्रिकेत कोणते प्रश्न कसे विचारले गेले आहेत, याचा आढावा घ्यावा. त्यातील काही प्रश्न जे नवीन अभ्यासक्रमाशी संबंधित आहेत, ते शब्दमर्यादा पाळून लिहून पाहावेत आणि तज्ज्ञांकडून ते तपासून घ्यावेत. लिहिण्याचा आपण जेवढा जास्त सराव कराल तेवढे आपणास फायदेशीर असेल. 
सामान्य अध्ययनाच्या अभ्यासासाठी संदर्भ पुस्तके -
भारतीय संस्कृतीचा वारसा यासाठी स्पेक्ट्रम प्रकाशन, भारतीय इतिहासासाठी बिपीन चंद्रा, ग्रोव्हर आणि ग्रोव्हर, भूगोलासाठी सिवदर सिंग, भारतीय भूगोलासाठी, माजिद हुसेन, अर्थशास्त्रासाठी २०१३ केंद्र सरकारची आíथक पाहणी दत्त आणि सुंदरम किंवा उमा कपिला यांचे पुस्तक, विज्ञान व तंत्रज्ञानासाठी विझार्ड प्रकाशनाचे किंवा टी.एम.एच. प्रकाशनाचे पुस्तक त्याचप्रमाणे 'इंडिया इयर बुक २०१३' मधील विज्ञान तंत्रज्ञानाचा भाग, तसेच मागच्या काही महिन्यांतील व परीक्षेपर्यंत 'सायन्स रिपोर्टर' या मासिकातील अभ्यासाशी संबंधित लेख, सामान्य अध्ययन पेपर-२, शासनयंत्रणा, संविधान प्रशासन यासाठी लक्ष्मीकांत यांचे पुस्तक या पुस्तकांच्या अभ्यासाबरोबरच इग्नू (कॅठडव) यांची अभ्यासक्रमाशी संलग्न साहित्य याचा उपयोग करावा. पेपर मराठीमध्ये लिहिणार असाल तर यशवंतराव चव्हाण मुक्त विद्यापीठाची अभ्यासक्रमाशी संलग्न अशी पुस्तके यांचा वापर करावा. 
सामान्य अध्ययनात, मुख्य परीक्षेसाठी प्रश्न २ मार्क्‍स, ३ मार्क्‍स, ५ मार्क्‍स, १० मार्क्‍स, १५ मार्क्‍स तसेच २० मार्क्‍स यासाठीही विचारले जातात. प्रत्येक प्रश्नांना विशिष्ट शब्दमर्यादा दिलेली असते. शक्यतो शब्दमर्यादेतच उत्तर लिहावे. उत्तर संक्षिप्त व मुद्देसूद असावे. प्रश्न व्यवस्थित समजून उत्तर लिहावे, म्हणजे चुका होण्याची शक्यता कमी असते. कमी शब्दात अर्थपूर्ण सुसंगत व मुद्देसूद उत्तर लिहिण्याची सवय आत्तापासूनच करावी. 
आयोगाने आपल्या वेबसाइटवर जो अभ्यासक्रम दिलेला आहे, त्यात सामान्य अध्ययनासाठी खालील उपघटकांचा समावेश होतो.
सामान्य अध्ययन पेपर १ : 
०यामध्ये भारतीय संस्कृतीमध्ये प्राचीन काळापासून आधुनिक काळापर्यंत कला, साहित्य व स्थापत्य यांची वैशिष्टय़े.
०यामध्ये १८ व्या शतकाच्या मध्यापासून आजपर्यंत आधुनिक भारताचा इतिहास, त्यातील महत्त्वाच्या घटना, व्यक्ती, महत्त्व आणि समस्या. 
०भारताचा स्वांतत्र्यलढा, त्यातील महत्त्वाचे टप्पे, देशाच्या विविध भागांतून व विविध व्यक्तींनी दिलेले योगदान. 
०स्वातंत्र्यप्राप्तीनंतर दृढीकरण व देशांतर्गत पुनर्रचना. 
०१८ व्या शतकापासून जगाचा इतिहास, औद्योगिक क्रांती, महायुद्ध, राष्ट्रीय सीमांची पुनर्रचना, वसाहतीकरण, निर्वसाहतीकरण, समाजवाद, साम्राज्यवाद, भांडवलवाद, त्यांचे प्रकार आणि त्यांचा समाजावरील परिणाम.
०भारतीय समाजाची ठळक वैशिष्टय़े व भारतातील वैविधता. 
०महिला आणि महिला संघटनांची भूमिका, लोकसंख्या व संबंधित समस्या, दारिद्रय़ आणि विकासाच्या समस्या, नागरीकरण ,त्यांच्या समस्या व उपाय. 
०जागतिकीकरणाचे भारतीय समाजावरील परिणाम. 
०सामाजिक शक्तीकरण, धर्मातरता, प्रादेशिक वाद व धर्मनिरपेक्षता. 
०जगाच्या प्राकृतिक भूगोलाचे वैशिष्टय़. 
०महत्त्वाच्या नसíगक साधनसंपत्तीचे जगातील वितरण (दक्षिण आशिया व भारतीय उपखंड यांना मिळून) प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीय क्षेत्र आणि तृतीय क्षेत्र यासंबंधित औद्योगिक विकास हा जगातील विभिन्न भागात कसा झाला, यासंबंधीची कारणे (भारतासह.) 
०महत्त्वाच्या भौगोलिक समस्या उदा. भूकंप, त्सुनामी, ज्वालामुखी, चक्रीवादळे इ. महत्त्वाची प्राकृतिक वैशिष्टय़े, त्यांचे स्थान व त्यांच्यातील बदल, जलस्थान व हिमनग, जैवसृष्टी व बदल हा अभ्यासक्रम सामान्य अध्ययन पेपर १ मध्ये नमूद केलेला आहे.
कुठल्याही क्षेत्रात यश मिळविण्यासाठी सरावाची अत्यंत आवश्यकता असते. जेते खेळाडू किंवा यशस्वी व्यक्तींच्या आयुष्याकडे पाहिल्यास त्यांनी केलेला सराव आणि सरावात ठेवलेले सातत्य यांमुळे त्यांना यश मिळाल्याचे आपणास दिसते. हा नियम संघ लोकसेवा आयोगाच्या परीक्षेत यशस्वी होण्यासाठीदेखील लागू होतो. 
मुख्य परीक्षेत जास्तीत जास्त गुणांनी यश मिळविण्यासाठी मुद्देसूद लिहिण्याचा सराव, सातत्यपूर्ण करावा हे सूत्र आहे, हे लक्षात असू द्या! 

UPSC ESSAY WRITING - तयारी निबंधलेखनाची

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यूपीएससीची पूर्वपरीक्षा संपली. थोडय़ाच दिवसांत निकाल लागेल. जे विद्यार्थी उत्तीर्ण होतील ते मुख्य परीक्षेसाठी निवडले जातील. त्यानंतर खरे तर परीक्षेचे आव्हान सुरू होईल, कारण मुख्य परीक्षेत उत्तम गुण मिळवून अंतिम निवडयादीत अव्वल क्रमांक प्राप्त करण्यासाठी एकेक मार्क महत्त्वाचा ठरतो. 
पूर्वपरीक्षा ही बहुपर्यायी स्वरूपाची असते, तर मुख्य परीक्षा ही वर्णनात्मक स्वरूपाची आहे. मुख्य परीक्षेत निबंधाचा एक स्वतंत्र पेपर असतो. २५० गुणांसाठी दिलेल्या चार किंवा पाच विषयांपकी कोणत्याही एका विषयावर तीन तासांत निबंध लिहावा लागतो. थोडक्यात, मुख्य परीक्षेच्या दृष्टीने निबंध हा अत्यंत महत्त्वाचा घटक आहे.
निबंध कसा लिहावा, त्याची तयारी कशी करावी, हे प्रश्न विद्यार्थ्यांना नेहमीच  भेडसावत असतात. निबंध लिहिणे ही एक कला आहे, एक कौशल्य आहे. मात्र, प्रयत्नपूर्वक ते आत्मसात करता येते.
मुख्य परीक्षेत सामान्य अध्ययनाच्या प्रश्नपत्रिकेत, प्रश्नांची उत्तरे लिहिण्यासाठी शब्दमर्यादा दिलेली असते. मात्र निबंधाच्या पेपरसाठी शब्दमर्यादा सांगितलेली नसते. म्हणूनच नेमक्या किती शब्दांत निबंध लिहावा, हा प्रश्न विद्यार्थ्यांना पडतो. उत्तर साधे आहे. सामान्य अध्ययनाचा पेपर लिहिताना दोन गुणांसाठी आयोगाची २० शब्दांची मर्यादा आहे. म्हणजे लिहिण्यासाठी साधारणत: २५० गुणांसाठी दोन हजार ते अडीच हजार शब्दमर्यादा पाळणे आवश्यक आहे. अगदीच दीड हजार शब्दांहून कमी शब्दांचा निबंध लिहू नये. (अर्थात हा काही नियम नाही.)
निबंधात शैलीपेक्षा अभिव्यक्ती महत्त्वाची ठरते. आयोगाने आपल्या अधिसूचनेत असे नमूद केले आहे की, दिलेल्या विषयांपकी कोणत्याही एका विषयावर निबंध लिहावा. सुसंगत व स्पष्टपणे निबंध लिहिणे अपेक्षित आहे. थेट व परिणामकारक अभिव्यक्तीला गुण दिले जातात. म्हणजेच उथळपणे लिहिलेल्या, कसेबसे दोन हजार शब्दांपर्यंत ओढूनताणून लिहिलेल्या निबंधाला गुण मिळणार नाहीत, हे नक्की. निबंध हा विचार मांडण्यासाठी लिहिला जातो. निबंधातील शब्दरचना शक्यतो सोपी असावी. दिलेल्या विषयांपकी तुम्हाला उमजलेला, तुम्ही ज्या विषयाची चांगली तयारी केली आहे किंवा तुमच्या ज्ञानशाखेशी संबंधित असा विषय निवडावा. विज्ञान शाखेशी संबंधित विद्यार्थ्यांनी विज्ञानासंबंधी एखाद्या विषयावर निबंध लिहिताना काळजी घ्यावी. त्या विषयाशी संबंधित विज्ञानातील जड संकल्पना, सूत्रे लिहू नयेत. तसेच आपल्या वैकल्पिक विषयाशी संबंधित एखाद्या विषयावर निबंध लिहिताना विशेष काळजी घ्यावी. 
निबंधाची तयारी कशी करावी?
या घटकाची तयारी करण्यासाठी आपण तयारी करणाऱ्यांचे दोन प्रकार असतात-
१) ज्यांना एक-दीड वर्षांनंतर परीक्षा द्यायची आहे, अशांसाठी दीर्घ मुदतीची तयारी (Long Term Preparation ) 
२) ज्यांना २०१३ ची मुख्य परीक्षा द्यायची आहे, त्यांच्यासाठी अल्पावधीतील तयारी( Short Term Preparation)
दीर्घ तयारी  (Long Term Preparation )
परीक्षेसाठी एक वर्ष किंवा दोन वर्षांचा अवधी असलेल्या उमेदवारांकडे तयारीसाठी मुबलक वेळ असतो. त्यांनी या घटकाच्या तयारीसाठी योग्य रणनीती तयार करावी. दररोज किमान दोन वृत्तपत्रांचे वाचन करावे. जर निबंध इंग्रजीमध्ये लिहिणार असाल तर आघाडीच्या काही इंग्रजी दैनिकांचे वाचन करावे. संपादकीय तसेच महत्त्वाचे लेख रोज वाचावेत. अवघड शब्द, म्हणी, वाक् प्रचार यांचा अर्थ समजून घ्यावा. इंग्रजीसाठी शब्दसंपदा जेवढी समृद्ध, तेवढे कोणत्याही विषयावर आपणास आपले मत ठामपणे मांडणे सोपे जाते. विविध विचारवंतांचे विचार, त्यांनी एखाद्या विषयावर मांडलेले मत, काही म्हणी, कविता यासंबंधीची टिपणे काढावीत. अभ्यासाव्यतिरिक्त इतर संबंधित विषयांवरील पुस्तकांचेही वाचन करावे. 
वेळोवेळी एखादा विषय घेऊन त्यावर निबंध लिहून पाहावा. शक्य झाल्यास तज्ज्ञ व्यक्तींकडून तो तपासून घ्यावा. असे केल्यास परीक्षेच्या वेळेस आपल्याला निबंध या घटकाची तयारी स्वतंत्रपणे करावी लागणार नाही.
२०१३ साठी मुख्य परीक्षा : तयारी 
निबंधाच्या पेपरसाठी तीन तासांचा अवधी असतो. म्हणजे १८० मिनिटे. पहिली १० मिनिटे निबंध वाचून विषय समजून घेण्यासाठी व शेवटची १० मिनिटे निबंध वाचून त्यातील बारीकसारीक चुका दुरुस्त करण्यासाठी ठेवल्यास हातात १६० मिनिटे उरतात. दोन हजार शब्दांत निबंध लिहिण्यास हा वेळ पुरेसा ठरतो. सर्वप्रथम कोणत्या विषयावर निबंध लिहिणार, ते निश्चित करा. विषय निश्चित झाल्यानंतर त्याबद्दल काय लिहिणार आहात, त्यात कोणते मुद्दे अपेक्षित आहेत यांची कच्ची मांडणी एका कागदावर करा. त्या मुद्दय़ांना लगेच क्रम देऊ नका. सुरुवातीला मुद्दे लिहून घ्या व नंतर त्यांना क्रम द्या.
एकदा कच्ची रूपरेषा निश्चित झाल्यानंतर त्याची मांडणी (अभिव्यक्ती ) कशी करू शकतो, याचा विचार करावा. आपल्या विचारांची मांडणी अशा प्रकारे करावी की, ज्यात आपण देत असलेली उदाहरणे, करत असलेला युक्तिवाद, देत असलेली माहिती, दाखले, दृष्टांत या सर्वाची एकसंध बांधणी होऊन निबंध तयार व्हावा. निबंध प्रभावी करण्यासाठी उदाहरणे, कोटेशन्स, काही विचारवंतांची मते सहजसोप्या भाषेत लिहावीत. लांबलचक पल्लेदार वाक्ये, अवघड शब्दप्रयोग शक्यतो टाळावेत. कोणताही विचार लिहिताना मुद्दाम ओढूनताणून केलेला नसावा, नाहीतर निबंध हा निबंध राहणार नाही. लिहिताना आपली शैली सहज असावी. एखाद्या विचारवंताचे एखादे वाक्य लिहिताना ते कुणाचे आहे, यात गल्लत करू नका. उदा. जर वाक्य अब्राहम लिंकनचे असेल आणि ते वाक्य जॉर्ज वॉिशग्टन यांचे आहे, असे लिहिल्यास विपरित परिणाम होऊन मार्कस् कमी होतील. एखादे कोटेशन तुम्हाला नक्की माहीत असेल तरच लिहावे. माहीत नसेल किंवा तुम्ही त्याबाबत जरा जरी साशंक असाल तर लिहू नका. वाक्यातील शब्दांची अदलाबदल करू नका. उदा. माओचे एक वाक्य आहे-Power Flows from the barrel of gun.  हे वाक्य Barrel of the gun contains Power 
निबंधात आपले विचार (Content), मांडणी  (Composition ) व लिहिण्याची योग्य शैली ( Style) याचा सम्यक मेळ साधला गेला तर निबंध प्रभावी ठरतो.
निबंध लिहिताना होणाऱ्या चुका 
मोठे उत्तर लिहिताना सुरुवात अगदी अचूक माहीत असलेल्या वाक्याने करावी. त्यानंतर महत्त्वाचे मुद्दे क्रमाने लिहावेत. नंतर प्रत्येक मुद्दा चार ते पाच ओळींत लिहिण्याचा प्रयत्न करावा. उत्तराचा शेवट समर्पक आणि लिहिलेल्या  सर्व मुद्दय़ांचा सारांश असलेला हवा.
पेपर तपासणारे परीक्षक देशातील वेगवेगळ्या विद्यापीठांतून आलेले तज्ज्ञ प्राध्यापक असतात. ते अनुभवी असतात, म्हणून वरवरचे मुद्दे मांडून, पानभर निबंध लिहून फसविण्याचा प्रयत्न करू नये.
निबंधाचा विषय निवडताना ज्याबाबत तुम्हांला थोडी माहिती आहे किंवा ज्या विषयातील आपले ज्ञान अल्प आहे, असे उदा. ' Do we need nuclear Power ?'(आपणास अणुऊर्जेची गरज आहे काय?) या विषयावर निबंध लिहिताना परीक्षार्थी सुरुवात पुढील मुद्दय़ांनी करतो- औष्णिक ऊर्जेचे तोटे, त्यामुळे किती व कसे प्रदूषण होते, भारताची वाढणारी लोकसंख्या, कोळशाचे कमी होत जाणारे साठे, अणुऊर्जा कशी स्वस्त पडते, त्यामुळे कमी प्रदूषण होते, जपान त्सुनामी इ. घटकांना स्पर्श करत सुमारे ५०० ते ६०० शब्द पूर्ण करताना त्याची दमछाक होते. मग तो पुन्हा नवीन मुद्दय़ांवर विचार करायला लागतो. नंतर लक्षात येते, अणुऊर्जा प्रकल्पांमुळे लोकांचे विस्थापनदेखील होते. मग तो महाराष्ट्राच्या संदर्भात लिहायला सुरुवात करतो आणि त्याचे अध्रे पान लिहून पूर्ण होते. तरीही त्याला अपेक्षित शब्दमर्यादा पार करायची असते. मग त्याला भूमी अधिग्रहण (Land Acquisition) चा मुद्दा आठवतो. मग तो या मुद्दयाशी संबंधित फायदे-तोटे लिहू लागतो आणि आणखी अर्धे पान भरते. लिहिता लिहिता त्याच्या लक्षात येते, आपल्याला भारत-अमेरिका नागरी अणुकराराबाबत लिहायला हवे. मग तो सीटीबीटी (CTBT), एनपीटी (NPT) याबाबतही लिहितो. नंतर संयुक्त राष्ट्र संघटनेतील कायमस्वरूपी सदस्यत्व मिळण्याच्या दृष्टीने भारताची दावेदारी किती योग्य आहे, याबाबत लिहायला सुरुवात करतो.. तीन तास उलटेपर्यंत तो त्यावर लिहीत राहतो. अशा रीतीने तो मूळ मुद्दय़ापासून भरकटत जातो. निबंधात सुसंगत विचारांची व्यवस्थित मांडणी नसते. 
अशा निबंधास २५० पकी ५० पेक्षाही कमी गुण मिळतात, तेव्हा त्याला चूक उमगते. मुख्य परीक्षेत इतर विषयांत चांगले गुण असूनही एकूण मार्कामध्ये यामुळे कमी पडल्याने मुलाखतीसाठी आपल्याला बोलावणे येत नाही. अनेक तज्ज्ञ प्राध्यापकांशी बोलल्यानंतर तसेच अनेक यशस्वी विद्यार्थ्यांच्या अनुभवावरून निबंध लिहिताना पुढील गोष्टींची काळजी घ्यावी, हे निश्चित-
०    सर्वप्रथम दिलेले विषय व्यवस्थित समजून घ्यावे. इंग्रजीत विषय समजला नसेल तर िहदीत वाचून, ज्या विषयावर आपली पकड आहे त्या विषयावर निबंध लिहावा.
०    निबंध लिहिण्यास घाईने सुरुवात न करता त्यात आपण कोणते मुद्दे लिहिणार आहोत त्याची मांडणी करून कच्चा आराखडा तयार करावा.
०    एकदा मुद्दे लिहिल्यानंतर त्यांना योग्य क्रम द्यावा.
०    निबंधाला सुरुवात करताना सुरुवात आकर्षक, विषयाशी निगडित व विषयाची घट्ट पकड घेणारी असावी.
०    उर्वरित निबंध वाचण्याचे परीक्षकाचे कुतूहल वाढण्यासारखी सुरुवात  असावी.
०    ज्या विषयावर आपण निबंध लिहीत आहोत, तो विषय सोडून इतर अवास्तव माहिती लिहू नये.
०    वस्तुनिष्ठ माहिती (डाटा) याला निबंधात फारसे महत्त्व नाही. तुम्ही लिहीत असलेल्या विषयात तुमचे किती ज्ञान आहे, विचारांची तुम्ही कशी मांडणी केली आहे, तो विषय सकारात्मक प्रकारे कशा शैलीत लिहिला आहे, यावरून निबंधाचे गुण ठरतात.
०    विनाकारण सरकारी धोरणावर टीका करू नका. उदा.अमूक पदावरील व्यक्तीने अशी पावले उचलायला हवी होती वा असे निर्णय घ्यायला हवे होते. अशा प्रकारच्या लिखाणाने कमी गुण मिळू शकतात.
०    कोणत्याही प्रश्नावर तुमचे मत लिहिताना ते वास्तवाला धरून असावे, ते अगदीच नाटय़मय असू नये.
०    निबंधातील भाषा सोपी असावी. निबंधात एका मुद्दय़ाचा दुसऱ्याची मेळ असावा. त्यातून विचारांची ताíकक सुसंगती साधली जावी.
०    निबंधाचा शेवट संपूर्ण निबंधाशी मिळताजुळता असावा. शक्यतो आपले स्वत:चे वैयक्तिक मत न देता निबंधाला अनुरूप असा शेवट करावा.
परीक्षा केंद्रात निबंध लिहिताना :
०    पेपर हातात मिळाल्यानंतर पहिल्या १० मिनिटांत वाचून पेपरमध्ये दिलेले विषय नीट समजून घ्यावेत.
०    पुढील ४५ ते ५० मिनिटांत निबंधाचा कच्चा आराखडा, त्यात समाविष्ट करावयाचे मुद्दे, त्यांचा क्रम यांची मांडणी करून घ्यावी. उरलेल्या दीड ते पावणेदोन तासांत निबंध लिहावा, तर शेवटची १५ मिनिटे काही चुका दुरुस्त करण्यासाठी हातात ठेवावीत.
थोडक्यात सांगायचे तर निबंध हा घटक परीक्षेसाठी अत्यंत महत्त्वपूर्ण आहे. अजूनही मुख्य परीक्षेसाठी सहा महिने उरले आहेत. निबंधलेखनाचा व्यवस्थित सराव करावा.
यू.पी.एस.सी.च्या संदर्भात काही व्यक्ती असे मत मांडतात की, निबंधासाठी विशेष तयारी करण्याची गरज नसते. सामान्य अध्ययनाच्या इतर घटकांचा अभ्यास करता करता त्याची तयारी होत असते. पण या परीक्षेत एकेका गुणाला असलेले महत्त्व लक्षात घेतले आणि संबंध देशात या परीक्षेसाठी होणारी स्पर्धा बघितली तर योग्य प्रकारे तयारी केलेली उत्तम!
परीक्षार्थीनी निबंधलेखनाची व्यवस्थित तयारी करावी. ठरावीक विषयांवर निबंध लिहून पाहावेत. ते तज्ज्ञांकडून तपासून घ्यावेत. या परीक्षेत चांगल्या क्रमांकाने यशस्वी व्हायचे असेल तर अधिकाधिक सराव करणे श्रेयस्कर. 

एम.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षा - पेपर ३

                 मानव संसाधन विकास आणि मानवी हक्क 
competitive examinations : mpsc main examination-paper-3नुकतीच पार पडलेली एम. पी. एस. सी.- पूर्वपरीक्षा अनेक कारणांसाठी वैशिष्टय़पूर्ण होती. त्यातील एक महत्त्वाचे कारण म्हणजे यंदापासून पूर्वपरीक्षेत दोन पेपर करण्यात आले होते. आता कट ऑफ मार्क्स कितीपर्यंत येतील, आपले किती प्रश्न बरोबर येतील, पूर्वपरीक्षा उत्तीर्ण होऊन आपण मुख्य परीक्षेला पात्र ठरू किंवा नाही याबाबत आपल्या मनात विचारमंथन चालू असेल, मनाचीही प्रचंड घालमेल होत असेल, मात्र अनुभवावरून एक सल्ला द्यावासा वाटतो, तो म्हणजे पूर्वपरीक्षेत उत्तीर्ण होऊ की नाही, याचा विचार न करता विद्यार्थ्यांनी सरळ मुख्य परीक्षेसाठी अभ्यास सुरू करावा. अनेक विद्यार्थी इथेच चूक करतात. पूर्वपरीक्षेचा निकाल लागल्यानंतर अभ्यासाला सुरुवात करतात, मग मुख्य परीक्षेच्या तयारीला वेळ कमी मिळतो आणि मग अनेकदा उमेदवाराची पात्रता असूनही अंतिम यादीत स्थान मिळत नाही.
एम.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षेत पेपर - ३ हा मानव संसाधन विकास आणि मानवी हक्क या संदर्भात आहे. महाराष्ट्र लोकसेवा आयोगाने २०१२ मध्ये राज्य सेवा मुख्य परीक्षेचे स्वरूप बदलले. पूर्वीच्या अभ्यासक्रमात विद्यार्थ्यांना वैकल्पिक विषय व सामान्य अध्ययनाचे पेपर लिहावे लागायचे, त्यातही वैकल्पिक विषयांचे महत्त्व जास्तच होते. वैकल्पिक विषयात काही विषय जास्त मार्कस् देणारे तर काही विषय कमी मार्कस् देणारे होते. मात्र २०१२ मध्ये अभ्यासक्रमात झालेल्या बदलांनुसार वैकल्पिक विषय रद्द झाला.
नवीन अभ्यासक्रमानुसार एकूण सहा पेपर आहेत- हे सहा पेपर सर्वाना अनिवार्य आहेत. यात मराठी व इंग्रजी या भाषा विषयांचे पेपर प्रत्येकी १०० गुणांसाठी असून ते वर्णनात्मक स्वरूपाचे असतील. सामान्य अध्ययनाचे चार पेपर वस्तुनिष्ठ बहुपर्यायी स्वरूपाचे असतात. यांपकी सामान्य अध्ययन एक हा पेपर इतिहास व भूगोलाशी संबंधित असून प्रश्नपत्रिका ही वस्तुनिष्ठ या स्वरूपाची दोन तास कालावधीसाठी १५० गुणांसाठी असते. या पेपरच्या अभ्यासक्रमाचा आवाका पदवीपर्यंतचा असतो.
सामान्य अध्ययन पेपर दोन हा भारतीय संविधान व भारतीय राजकारण असा आहे. प्रश्नपत्रिकेचे स्वरूप वस्तुनिष्ठ असून दोन तासांच्या कालावधीत १५० मार्कासाठी पेपर असतो.
पेपर तीन मानव संसाधन विकास आणि मानवी हक्क १५० गुणांचा हा पेपर वस्तुनिष्ठ या स्वरूपाचा असतो.
पेपर चार अर्थव्यवस्था व नियोजन, विकासविषयक अर्थशास्त्र आणि कृषी, विज्ञान व तंत्रज्ञान विकास असा आहे. प्रश्नपत्रिका वस्तुनिष्ठ स्वरूपाची असून एकूण १५० गुण असतील. वरील सर्व पेपर अनिवार्य आहेत, शिवाय सर्व पेपरमध्ये पास होणे आवश्यक आहे. खुल्या संवर्गातील उमेदवारांना उत्तीर्ण होण्यासाठी ४५ टक्के मिळवणे भाग असून उर्वरित आरक्षित संवर्गाला उत्तीर्ण होण्यासाठी ४० टक्केमिळवणे आवश्यक ठरते. मुलाखत १०० मार्कासाठी असते.
सर्व पेपर सर्वाना अनिवार्य असल्याने उमेदवारांना एक महत्त्वाचा लाभ झाला. तो म्हणजे सर्वासाठी पेपर सारखेच असतील. प्रदीर्घ वाटत असला तरी त्यातील प्रत्येक घटकाचा अभ्यासक्रम सुस्पष्ट नमूद केला आहे, त्यात संदिग्धता नाही.
आयोगाने बदललेल्या अभ्यासक्रमानुसार २०१२ मध्ये जी मुख्य परीक्षा घेतली, त्या परीक्षेचा जेव्हा निकाल जाहीर झाला तेव्हा अनेक विद्यार्थी केवळ पेपर ३ मध्ये अनुत्तीर्ण झाल्याने मुलाखतीपासून वंचित राहिले, ही वस्तुस्थिती आहे. या विषयात विद्यार्थी का अनुत्तीर्ण झालेत, याचा विचार होणे आवश्यक आहे. हा विषय नवीन होता. बदललेल्या अभ्यासक्रमानुसार ही पहिलीच परीक्षा होती, म्हणून नेमक्या या घटकावर कशा प्रकारे प्रश्न विचारला जाईल याबाबत विद्यार्थ्यांच्या मनात संभ्रम होता. बऱ्याच विद्यार्थ्यांनी केवळ माहिती पाठांतरावर भर दिला. संकल्पना समजून, त्याचे आकलन करण्यात विद्यार्थी कमी पडले. त्याशिवाय या विषयासंदर्भात बाजारात दर्जेदार अभ्यास साहित्य उपलब्ध नव्हते.
२०१३ च्या मुख्य परीक्षेसाठी या घटकाचे नियोजन करताना विद्यार्थ्यांनी खालील गोष्टी लक्षात ठेवाव्यात -
१) सर्वप्रथम आयोगाने आपल्या संकेतस्थळावर दिलेला या विषयासंदर्भातील अभ्यासक्रम व्यवस्थित अभ्यासावा, म्हणजे या घटकाचा आवाका लक्षात येईल.
२) २०१२ साली झालेल्या मुख्य परीक्षेच्या प्रश्नपत्रिकेचे व्यवस्थित विश्लेषण करावे, म्हणजे आयोगाला काय अपेक्षित आहे, प्रश्न नेमके कोणत्या घटकावर विचारले गेले आहेत याचे विश्लेषण करावे, म्हणजे २०१३ च्या परीक्षेसाठीची रणनीती तयार करणे सोपे जाईल.
३) या विषयाची व्याप्ती मोठी आहे, या विषयासंदर्भात रोज नवनवीन घटना घडत असतात. विद्यार्थ्यांनी ३ या घटकाच्या संदर्भात वृत्तपत्रातून, इंटरनेटवरून माहिती घेऊन ती व्यवस्थित समजून घ्यावी.
४) या पेपरसंदर्भातील अभ्यासक्रमातील घटक, व्याख्या, सांख्यिकी यांचे फक्त पाठांतर न करता हा विषय समजून घेण्यावर भर द्यावा.
५) ही परीक्षा वस्तुनिष्ठ स्वरूपाची असल्याने जास्तीतजास्त प्रश्नांचा सराव करण्यावर भर द्यावा.
या पेपरसाठी जो अभ्यासक्रम नमूद केला आहे, तो दोन घटकांत विभागलेला आहे. पहिल्या घटकांत - मानव संसाधन आणि विकास यासंबंधी अभ्यासक्रम नमूद केला आहे तर दुसऱ्या घटकात मानवी हक्क यासंबंधी अभ्यासक्रम दिलेला आहे. मानव संसाधन आणि विकास या घटकावर पाच प्रकरणे नमूद केलेली आहेत, तर मानवी हक्क या घटकावर १३ प्रकरणे दिलेली आहेत, प्रत्येक प्रकरणाचे आपण विश्लेषण करणार आहोत.
प्रकरण १
भारतातील मानव संसाधन आणि विकास याचा अभ्यास करताना प्रथम संसाधन म्हणजे काय, त्याचे वर्गीकरण उदा. नसर्गिक संसाधन व मानवी संसाधन, मानवी संसाधनाचे वर्गीकरण पुन्हा आपण संख्यात्मक व गुणात्मक असे करू शकतो. संख्यात्मक म्हणजे लोकसंख्येचा आकार उदा. २०११ मध्ये लोकसंख्या किती होती. भारताची लोकसंख्या व इतर देशांची लोकसंख्या यांची तुलना लोकसंख्या वाढीचा दर इ. व गुणात्मकमध्ये शिक्षण, शिक्षणाचा दर्जा, आरोग्य यांची सांगड घालावी. त्यानंतर मानवी संसाधनांच्या व्याख्या, मानवी संसाधन विकासाची व्याप्ती याचा अभ्यास करावा.
भारतीय लोकसंख्येची सद्यस्थिती या उपघटकाचा अभ्यास करताना २०११ ची जनगणना त्यासंबंधीतील मुद्दे व्यवस्थित अभ्यासावेत. उदा. लोकसंख्येची घनता, जन्मदर, मृत्युदर, स्त्री-पुरुष, लिंग गुणोत्तर, ग्रामीण नागरी लोकसंख्या यांचे राज्यनिहाय वितरण, त्यांचा चढता व उतरता क्रम, शिवाय वरील घटकाला अनुसरून महाराष्ट्राची लोकसंख्या, महाराष्ट्रातील लोकसंख्येचे वितरण, घनता, जन्मदर, मृत्युदर, इ.चा अभ्यास करावा. हा उपघटक अभ्यासताना व्यवस्थित नोट्स तयार करून त्यांचे रोज वाचन करावे म्हणजे अगदी छोटा घटकदेखील जास्त श्रम न घेता लक्षात राहतो.
राष्ट्रीय लोकसंख्या धोरणाचा अभ्यास करताना राष्ट्रीय लोकसंख्या धोरण १९७६ व राष्ट्रीय लोकसंख्या धोरण २००० याची उद्दिष्टे अभ्यासावीत. लोकसंख्या धोरणाशी संबंधित महत्त्वाचा घटक म्हणजे कुटुंब नियोजन, त्याचे मूल्यांकन हा भाग अभ्यासावा. नंतर भारतातील बेरोजगारी या उपघटकाचा अभ्यास करताना बेरोजगारी म्हणजे काय, ती का निर्माण होते, भारतातील बेरोजगारीचे स्वरूप, बेरोजगारीचे प्रकार. उदा. सुशिक्षित बेरोजगारी, कमी प्रतीची बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी, इ. ही बेरोजगारी दूर करण्यासाठी शासन करीत असलेले प्रयत्न, विविध शासकीय रोजगार कार्यक्रम यांचा अभ्यास करावा. रोजगार कार्यक्रमांचा अभ्यास करताना तक्ता तयार करावा. (योजना, वर्ष, वैशिष्टय़ असा) उदा.
१) समुदाय विकास कार्यक्रम (१९५२) - ग्रामीण भागाचा विकास करणे.
२) महाराष्ट्रातील रोजगार हमी योजना (१९७२-७३) - ग्रामीण भागातील गरीब लोकांचा रोजगाराच्या माध्यमातून विकास करणे व त्यांना आíथक साह्य़ करणे.
३) स्वयंरोजगारासाठी ग्रामीण तरुणांना प्रशिक्षण योजना (१५ ऑगस्ट १९७९)- स्वयंरोजगार निर्मितीसाठी कौशल्य (TRYSEM) निर्माण करणारे प्रशिक्षण देणे, इ.
नंतर NSSO नुसार रोजगाराची स्थिती यानंतर मनुष्यबळ विकासासाठी कार्यरत असलेल्या शासकीय आणि स्वयंसेवी संघटना यांचा अभ्यास करावा. शासकीय संस्थेचा अभ्यास करताना त्या संस्थेची अधिकृत वेबसाइटवरून त्या संस्थेचा इतिहास, त्याची उद्दिष्टे समजून घ्यावीत. उदा. राष्ट्रीय शिक्षण संशोधन व प्रशिक्षण परिषद (NCERT) याचा अभ्यास करताना या संस्थेची स्थापना कधी झाली, संस्थेची रचना, याचा अध्यक्ष कोण असतो, इतर सदस्यांची निवड कशी होते, NCERT ची कार्ये, NCERT च्या उपसंस्था, त्यांची काय्रे याचा अभ्यास करावा. अभ्यासक्रमात पुढील संस्थांचा अंतर्भाव केलेला आहे - NCERT , राष्ट्रीय शिक्षण नियोजन व प्रशासन विद्यापीठ (NUEPA), विद्यापीठ अनुदान आयोग (UGC), मुक्त विद्यापीठे, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यापीठ (IGNOU), यशवंतराव चव्हाण मुक्त विद्यापीठ (YCMOU), अखिल भारतीय तंत्रशिक्षण परिषद (AICTE), राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE), राष्ट्रीय व्यवसाय प्रशिक्षण समिती (NCVT), भारतीय वैद्यकीय परिषद (IMC).
प्रकरण २ ( शिक्षण)
या प्रकरणावर २०१२ मध्ये मुख्य परीक्षेत जास्त प्रश्न विचारले होते. मानव संसाधन विकासाचे आणि सामाजिक बदलाचे साधन म्हणून शिक्षणाचा विचार. याचा अभ्यास करताना सामाजिक बदलाचा अर्थ सामाजिक बदलाचे वैशिष्टय़, सामाजिक बदलाची कारणे सामाजिक बदल घडवून आणण्याच्या दृष्टीने शिक्षणाचे महत्त्व या संकल्पना व्यवस्थित समजून घ्याव्यात. यानंतर भारतातील शिक्षणप्रणालीचा विकास अभ्यासावा. यात प्रामुख्याने ब्रिटिश सत्ता भारतात असताना व भारतात स्वातंत्र्य मिळाल्यानंतर शिक्षणपद्धतीत झालेला विकास अभ्यासावा. उदा. १८१३ चा चार्टर अ‍ॅक्ट, मेकॉलेचा शिक्षणासंबंधित सिध्दांत, १८५४ चा वुडचा खलिता, १८८२ हंटर आयोग, भारतीय विद्यापीठ कायदा १९०४, सांडलर आयोग, हाटरेक समिती १९२९, वर्धा शिक्षण योजना १९३७, राधाकृष्ण आयोग १९४८-४९, मुदलीयार आयोग १९५२-५३, कोठारी आयोग, १९६८ चे राष्ट्रीय शिक्षण धोरण, १९८६ चे राष्ट्रीय शिक्षण धोरण, राष्ट्रीय शिक्षण आराखडा २००५ याचा अभ्यास करणे.
यानंतर शिक्षणाच्या सार्वत्रीकरणासाठी केंद्र सरकारने आखलेली धोरण योजना याचा अभ्यास करावा. उदा. ऑपरेशन ब्लॅक बोर्ड, माध्यान्ह भोजन योजना, सर्व शिक्षा अभियान, महात्मा फुले शिक्षण हमी योजना, सेतू शाळा, वस्ती शाळा, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान याचा अभ्यास करावा. यानंतर मुलींचे शिक्षण, मुलींच्या शिक्षणाची सद्यस्थिती, मुलींच्या शिक्षणासाठी राष्ट्रीय कार्यक्रम, उदा. कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय, राज्य सरकारच्या योजना. उदा. सावित्रीबाई फुले दत्तक पालक योजना, अहिल्याबाई होळकर योजना, यानंतर अनुसूचित जाती अनुसूचित जमाती या समाजापासून वंचित राहिलेल्या घटकांच्या विकासासाठी, त्यांच्या शिक्षणासाठी सरकारने राबविलेल्या योजना, उदा. सावित्रीबाई फुले शिष्यवृत्ती योजना, राजर्षी छत्रपती शाहू महाराज गुणवत्ता शिष्यवृत्ती योजना, राजर्षी छत्रपती शाहू महाराज गुणवत्ता पुरस्कार, अनुसूचित जाती जमातीच्या मुलांना परदेशात शिक्षणासाठी योजना, शासकीय वसतिगृहे यांचा अभ्यास करावा, अपंगांसाठीचे शिक्षण, अपंगत्वाचे विविध प्रकार, त्यांच्या विकासासाठी सरकार करत असलेले प्रयत्न उदा. विकलांगांसाठीचे एकात्मिक शिक्षण, अपंग व्यक्तींचे शिक्षण, पुनर्वसन यासाठी राज्य शासनाचे प्रयत्न राज्य अपंग कल्याण कृती आराखडा २०११ यानंतर अल्पसंख्याकांचे शिक्षण, त्यासाठी सरकारचे प्रयत्न यांचा अभ्यास करावा. उदा. राष्ट्रीय अल्पसंख्याक शिक्षण संस्था आयोग (NCMEI), न्यायमूर्ती सच्चर समिती २००५ राष्ट्रीय मुक्त शिक्षण संस्था व अल्पसंख्याक यांचा अभ्यास करावा.
या प्रकरणात औपचारिक शिक्षण व अनौपचारिक शिक्षण हा एक उपघटक आहे. औपचारिक शिक्षण म्हणजे काय, अनौपचारिक शिक्षण म्हणजे काय या संकल्पना समजून घ्याव्यात. औपचारिक शिक्षणाची आवश्यकता का आहे, तसेच अनौपचारिक शिक्षणाची आवश्यकता का आहे हे व्यवस्थित अभ्यासावे. यानंतर प्रौढ शिक्षण, त्याची आवश्यकता, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन, संपूर्ण साक्षरता अभियान, राष्ट्रीय साक्षरता अभियान प्राधिकरण, प्रौढ शिक्षण व त्यांच्या विकासासाठी स्वयंसेवी संस्थांचे साह्य़ व महाराष्ट्रातील प्रौढ शिक्षण कार्यक्रम याचा अभ्यास करावा.
या प्रकरणात अजून एक उपघटकाचा अंतर्भाव आहे, तो म्हणजे जागतिकीकरण आणि खासगीकरण यांचा भारतीय शिक्षणावरील परिणाम हा उपघटक अभ्यासताना जागतिकीकरण म्हणजे काय, शिक्षण आणि जागतिक व्यापार संघटना (GATT) करारांसंदर्भातील व त्या अतंर्गत शिक्षण सेवांचे प्रकार जागतिकीकरणाचा शिक्षणावर परिणाम, शिक्षणाचे खासगीकरण म्हणजे काय, खासगी शिक्षण संस्था, त्यांचे प्रकार, शिक्षणाच्या खासगीकरणाचे फायदे व त्यांचे तोटे, खासगीकरणाचा भारतीय शिक्षणावर झालेला परिणाम अभ्यासण्यासाठी नेमलेल्या विविध समित्या उदा. डॉ. डी. स्वामिनाथन पॅनल, बिर्ला अंबानी अहवाल.
या प्रकरणाच्या शेवटी ई- शिक्षण म्हणजे काय, ई-शिक्षणाचे प्रकार, भारतातील ई-शिक्षण, ई-शिक्षणाचे फायदे-तोटे, राष्ट्रीय ज्ञान आयोग, राष्ट्रीय ज्ञान आयोगाचे कार्यक्षेत्र, त्याची कार्यपद्धती. राष्ट्रीय उच्च शिक्षण व आयोग त्याची रचना, त्याची काय्रे व अधिकार, भारतीय व्यवस्थापन संस्था आयआयएम, आयआयटी, भारतीय प्रौद्योगिक संस्था दुरुस्ती कायदा २०१२, राष्ट्रीय प्रौद्यागिक संस्था (ठकळ२) यांची माहिती देणारा अभ्यास करावा.

यूपीएससी च्या अभ्यासक्रमात बदल...


यूपीएससी च्या अभ्यासक्रमात बदल...
केंद्रीय लोकसेवा आयोग तथा 'यूपीएससी'च्या वतीने घेण्यात येणाऱ्या स्पर्धा परीक्षेच्या अभ्यासक्रम नव्याने बदलण्यात आला आहे. 'यूपीएससी'च्या मुख्य परीक्षेत (मेन्स) यावर्षीपासून दोनऐवजी एकच वैकल्पिक विषय असणार आहे. तसेच, पूर्वनियोजित वेळापत्रकात बदल करून पूर्वपरीक्षा एक आठवड्याने पुढे ढकलण्यात आली आहे.आता पूर्वपरीक्षा १९ मे ऐवजी २६ मे रोजी होणार आहे. केंद्रीय लोकसेवा आयोगाने या बदलांबाबत संकेतस्थळावर अधिकृतरीत्या घोषणा केली आहे. मुख्य परीक्षेचे एकूण गुण २२५ ने कमी करण्यात आले असून, आता २०७५ एवढे एकूण गुण असतील. पूर्वी दोन वैकल्पिक विषयांचे प्रत्येकी दोन पेपर आणि सामान्य ज्ञानाचे दोन पेपर असे (प्रत्येकी ३०० गुणांचे) एकूण सहा पेपर असत. त्यापैकी एक वैकल्पिक विषयाचे दोन पेपर कमी करण्यात आले. नव्या अभ्यासक्रमात आता नीतिमूल्ये, एकात्मता व अभिक्षमता (अ‍ॅप्टिट्यूड), सुरक्षा व आपत्ती व्यवस्थापन, जैवविविधता, पर्यावरण, तंत्रज्ञान व आर्थिक विकास या वाढीव उपघटकांचा समावेश करण्यात आला आहे. आता एकच वैकल्पिक विषय निवडता येणार आहे. सामान्य अध्ययन पेपर-एकमध्ये दोन विभाग करण्यात आले आहेत.

अतिशय महत्वाचे...

विशेष सूचना - 'जॉब्स मराठी' http://www.jobsmarathi.org/ या संकेस्थळाच्या डोमेनवर काम चालू असल्याने नोव्हेंबर, डिसेंबर व जानेवारी या तीन महिन्यात जर जॉब्स मराठी च्या वेबसाईट ला अडचण येत असेल तर www.jobsmarathi.blogspot.com किंवा www.jobsmarathi.tk या दोन डोमेननेम चा वापर करून वेबसाईट ओपन करावी...